भिलाई : माहे रमजान पर मरकजी मस्जिद में जकात पर हुई तकरीर
वंचित समुदाय को गरीबी के स्तर से ऊपर उठाने का जरिया है जकात: मुफ्ती सोहेल

भिलाई : रमज़ान मुबारक का तीसरा और आखिरी अशरा (10 दिन) जारी है। इस पवित्र माह में मुस्लिम समुदाय न सिर्फ इबादत करता है बल्कि अपने साथ-साथ गरीब और वंचित समुदाय की फिक्र भी करता है। इसके लिए इस्लाम में जकात देने का हुक्म है, जो हर हैसियत वाले पर वाजिब होती है। मरकजी मस्जिद पावर हाउस कैंप-2 में दारुल कजा भिलाई के काजी, हाफिज व मुफ्ती मोहम्मद सोहेल ने जकात के हुक्म को लेकर नमाजियों के बीच तकरीर की।
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मुफ्ती मोहम्मद सोहेल ने बताया कि हैसियत वाले को अपनी आय का ढाई प्रतिशत निकाल कर अपने करीब के गरीब, वंचित, फकीर, यतीम, बेवा मिस्कीन, मुसाफिर कर्जदारों, जिसके पास तीन दिन तक खाने का न हो और ज़रूरत मंदों को देना होता है। उन्होंने कहा कि जकात समाज के वंचित और गरीब समुदाय का आर्थिक स्तर सुधार कर उसे जकात देना वाला बनाने का जरिया है। उन्होंने कहा कि हैसियत मंद लोगों को समाज के अंदर गरीब लोगों के जीवन स्तर को सुधार कर बेहतर जीवन शैली में लाने का बेहतरीन तरीका अल्लाह के आखिरी नबी हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने बताया है।
उन्होंने बताया कि जिस हैसियतमंद के पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी हो या माल (नगद) व्यापार में लाभ राशि,जमा धनराशि जो इनकी कीमत को पहुंचे जिस पर साल गुजर जाए जकात देना वाजिब है। कुल राशि का अढ़ाई फीसदी निकाल कर समाज के उन लोगों को देवें जो इसके हकदार हैं। मुफ्ती सोहेल ने बताया कि अपने माता पिता,बेटा बेटी,शौहर और बीवी, नाना-नानी और दादा-दादी,पोता-पोती और नाती इनके जो रिश्ते वालों को जकात नहीं दे सकते हैं। जकात इस्लाम में जिन पर वाजिब है अगर दुनिया मे अदा नहीं करेगा तो वो अल्लाह के हुक्म को तोड़ने वाला है। आखिरत में उसको उसका अजाब होगा।
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मुफ्ती मोहम्मद सोहेल ने बताया कि जकात से मुस्लिम समाज में गरीबी दूर करने एंव स्वावलंबन अपनाने का रास्ता दिखा दिया गया है। मसलन कोई गरीब, फकीर या बेवा को कोई हैसियतमंद अपनी जकात से उसके लिए कोई कारोबार शुरू करवा दे, जिससे वो आने वाले साल में अच्छी आय अर्जित कर खुद जकात देने वाला बन जाए। वैसे जकात खेती की पैदावार, जानवरों की तादाद और प्लाट जो अच्छी कीमत में बेचने के लिए रखा हो उस पर भी देना चाहिए। इस दौरान सदर मोहम्मद असलम, हाफिज कासिम, सेक्रेटरी मदरसा सैय्यद असलम, नायब सदर इमामुद्दीन पटेल, खजांची निजामुद्दीन, नायब खजांची हाफिज महफूज, अब्दुल हई, हाफ़िज़ अहमद, आलिम सैयद और अहफाज सहित बड़ी तादाद में लोग उपस्थित थे।
इफ्तार में जुटे रोजेदार, की गईं दुआएं : मदनी मस्जिद खुर्सीपार, मदरसा हमीदिया जोन-1 सेक्टर-11 में अंजुमन हुसैनिया कमेटी की जानिब से रोजा इफ्तार रखा गया। जिसमें बड़ी तादाद में लोग जुटे। पेश इमाम अल्लामा मौलाना मुफ्ती कलीमुल्लाह खान रिजवी और हाफिज इमरान ने इस दौरान दुआए खैर की। मदरसे में इफ्तार के बाद सभी ने मस्जिद में नमाजे मगरिब अदा की। इस रोजा इफ्तार को सफल बनाने में अंजुमन हुसैनिया के हुसैन अली, मुश्ताक अली, कमालुद्दीन अशरफी, मोहम्मद कुद्दूस, हैदर अली, अशफ़ाक अहमद, अरशद अय्यूब, मोहम्मद शमीम, अरशद अली, आरिफ अय्यूब, पीर हुसैन, राज मोहम्मद, मोहम्मद तौहीद, मोहम्मद तुफैल, मोहम्मद अकरम, बाबू भाई, मोहम्मद आसिफ, मोहम्मद साजिद, रमजान अली, आरिफ सोनू, मोहम्मद मंजूर, अताउल्लाह, मो सैफ, मोहम्मद शारिक, मोहम्मद रिजवान, मोहम्मद सद्दाम, बन्ने भाई, मोहम्मद मेराज, मोहम्मद कय्यूम, जैनुल आबेदीन, सिकन्दर अली, मोहम्मद जैद , मिर्जा तौसीफ और बबलू सहित तमाम लोगों का योगदान रहा।